राज्य सरकार का प्राधिकरणों पर फैसला: नक़्शे पास करने के लिए कौन होगा जिम्मेदार?
सरकार ने अब नए सिरे से प्राधिकरणों को सक्रिय करने को नक्शे पास करने की अनिवार्यता तो कर दी है लेकिन सवाल ये है कि वहां नक्शे पास कौन करेगा। एमडीडीए, एचआरडीए को छोड़ दें तो बाकी जिलों के प्राधिकरणों में स्टाफ की भारी कमी है। न वहां अवैध निर्माण को देखने वाले हैं और न ही नक्शे को परखकर पास करने वाले। अब इस बात को लेकर चिंता जताई जा रही है कि जैसे ही शासनादेश होगा, वैसे ही प्राधिकरण काम शुरू तो कर देंगे लेकिन काम करने वाले कहां से आएंगे?
पूर्ववर्ती त्रिवेंद्र सरकार ने जब 2017 में जिला स्तरीय विकास प्राधिकरणों का गठन किया था तो इसमें सबसे बड़ी परेशानी कम स्टाफ की सामने आई थी। नक्शा पास करने वाले इंजीनियर व आर्किटेक्ट की भरपाई हरिद्वार-रुड़की विकास प्राधिकरण और मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण से कर्मचारी भेजकर की गई थी। इन कर्मचारियों पर काम का बोझ और जनता के बीच इनकी कार्यप्रणाली पर रोष के चलते ही सरकार को इन प्राधिकरणों को स्थगित करना पड़ा था।
सचिव आवास एसएस पांडे का कहना है कि चूंकि नई भर्ती होने में अभी वक्त लगेगा, इसलिए फिलहाल या तो डेपुटेशन से स्थायी तौर पर स्टाफ लिया जाएगा। या फिर रिटायर्ड इंजीनियर व आर्किटेक्ट की सेवाएं ली जाएं। उन्होंने बताया कि प्राधिकरण पूरी जिम्मेदारी से अपने काम को अंजाम देंगे।