मजबूत तटबंधों से ही बचेगा रेत पर बसा धारचूला, 2013 में बाल-बाल बचा था देश का ये पहला नगर
तिब्बत-चीन और नेपाल की सीमा पर स्थित देश का पहला नगर धारचूला काली नदी के खौफ से डरा हुआ है। नगर की पांच हजार से अधिक की आबादी नगर के ऊपरी हिस्से हो रहे भूस्खलन और नीचे से काली नदी के कटाव से हिल रहा है।
काली नदी के रेत बालू के ढेर में बसा धारचूला नगर काली नदी के कोप का कभी भी भाजन हो सकता है। त्रिकोणात्मक सीमा पर स्थित सामरिक महत्व के इस नगर को केवल काली नदी किनारे मजबूत सुरक्षा दीवार ही बचा सकती है।
नेपाल के कुछ असामाजिक तत्वों की कुटिल नजर
सुरक्षात्मक कार्य पर मित्र कहे जाने वाले पड़ोसी देश नेपाल के कुछ असामाजिक तत्वों की कुटिल नजर लग रही है। पिथौरागढ़ जिले के अंतर्गत पिथौरागढ़ के बाद धारचूला ही दूसरे नंबर का नगर है। अतीत में यहां पर व्यास घाटी के लोग शीतकाल में प्रवास करते थे और अपने जानवरों को चराते थे।
काली नदी किनारे भारत का धारचूला हो या नेपाल का दार्चुला दोनों नदी द्वारा किनारे जमा की गई रेत पर बसने लगे। आजादी के बाद धारचूला को तहसील का दर्जा मिला। 1962 के चीन युद्ध के बाद धारचूला सामरिक दृष्टि से अति महत्व को हो गया।
यहां पर तहसील कार्यालय, विकास खंड कार्यालय खुले तो यह केंद्र बन गया। इसी के साथ धारचूला का विस्तार होता गया। जिस भूमि पर नगर बसा है वह काफी कमजोर है और प्रतिवर्ष काली नदी इसे भी लील रही है।
वर्ष 2013 में बाल -बाल बचा था धारचूला
वर्ष 2013 में हिमालयी सुनामी के नाम से जानी जाने वाली आपदा ने भारत के धारचूला और नेपाल के दार्चुला को हिला कर रख दिया। धारचूला काली के कहर से बाल-बाल बचा, परंतु काली नदी ने धारचूला नगर को बचाने के लिए संदेश दे दिया। नेपाल तो सजग हो गया और उसने काली नदी किनारे मजबूत तटबंधों का निर्माण कर दिया और भारत पिछड़ गया।
इस बीच नगर के ऊपरी हिस्से एलधारा धंसने लगा और नीचे काली नदी और उसकी सहायक घटखोला नदी नगर का भूगोल बदलने लगे। धारचूला बचाने के लिए जनता की आवाज बुलंद होने लगी। सरकार जागी और सुरक्षात्मक कार्यों के लिए 77 करोड़ की धनराशि स्वीकृत हो गई।
मजबूत तटबंध निर्माण के लिए तैयार हुआ डिजायन
सिंचाई विभाग ने नेपाल की ही तर्ज पर 985 मीटर लंबे तटबंध निर्माण का कार्य प्रारंभ किया। जो घटखोला से टैक्सी स्टैंड तक बन रहे हैं।
आठ मीटर चौड़े बेस वाले तटबंध की ऊंचाई 10.7 मीटर है और ग्राउंड लेवल में पांच मीटर चौड़ाई वाले एप्रिन हैं। साइड इंचार्ज एई सिंचाई विभाग फरजान खालिद का कहना है कि ऐसे ही तटबंध धारचूला नगर को बचा सकते हैं।
अमरोहा उत्तर प्रदेश की बाढ़ सुरक्षा कार्य में अग्रणी अरुण कंस्ट्रक्शन कंपनी कार्य कर रही है। सहायक अभियंता खालिद बताते हैं कि दीवार निर्माण के लिए सेंटर प्वाइंट लगाने के लिए पानी डायवर्जन करना पड़ता है।
जैसे ही कार्य होता है पानी फिर अपने स्थान पर चला जाता है। यह देखने में आया है कि जब यह कार्य होता है तो अमूमन नेपाल की तरफ से पत्थर बरसाए जाते हैं। जिससे कार्य प्रभावित होता है।
मार्च तक का लक्ष्य, 40 प्रतिशत कार्य हुआ पूरा
सिंचाई विभाग का कहना है कि मार्च माह तक तटबंध निर्माण का कार्य पूरा होना है अभी तक लगभग 40 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है। अप्रैल, मई माह से नदी का जलस्तर बढ़ना प्रारंभ हो जाता है।
तटबंध नहीं बने तो धारचूला मिट जाएगा
तटबंध निर्माण में नेपाल की तरफ से विरोध समझ से परे है। बुधवार को इस संबंध में दार्चुला के नवनिर्वाचित प्रतिनिधि सभा सदस्य और विधायक से मिलने नेपाल जा रहा हूं। नेपाल के जनप्रतिनिधियों सहित प्रशासनिक अधिकारियों से मिलूंगा।
– हरीश धामी, विधायक, धारचूला
नेपाल हमारा पारंपरिक मित्र है। नेपाल में तटबंध निर्माण हो चुका है। भारत की तरफ से विरोध तो दूर सहयोग दिया गया। सामान तक पहुंचाया। दार्चुला की तरह ही धारचूला भी रहना चाहिए, यह हमारे पड़ोसी मित्रों को समझना होगा।
– भूपेंद्र सिंह थापा, अध्यक्ष, धारचूला व्यापार मंडल
नेपाल के लोगों का विरोध अनुचित है। भारत हमेशा सहयोग वाली भूमिका निभाता आया है। नेपाल में कुछ लोग जिस तरह विरोध करते पथराव करते हैं उनके खिलाफ नेपाल प्रशासन द्वारा कार्रवाई नहीं करना चिंता का विषय है।
– राम सिंह रोकाया, समाजसेवी
धारचूला को बचाना आवश्यक है। तटबंध निर्माण ही सुरक्षा का माध्यम है। दार्चुला में तटबंध निर्माण हो सकता है तो धारचूला में क्यों नही। नेपाल में जो तत्व इस तरह की हरकत कर रहे हैं उनके खिलाफ कार्रवाई हो और तटबंध निर्माण समय पर पूरे हों।
– प्रकाश गुंज्याल, व्यापारी