जोशीमठ पर एक्सपर्ट की चेतावनी, भारी निर्माण करना होगा बेहद खतरनाक; आईआईटी रुड़की रिपोर्ट
धंसते जा रहे जोशीमठ में भारी निर्माण खतरनाक है। यहां भवनों का लाइट वेट स्ट्रक्चर यानी हल्के ढांचे वाले निर्माण ही कारगर हैं। जोशीमठ पर आईआईटी रुड़की ने 2009 की अपनी रिपोर्ट में आठ टन प्रति स्क्वायर मीटर से भारी निर्माण नहीं करने की सलाह दी थी। जोशीमठ में एनटीपीसी की टाउनशिप इसी रिपोर्ट के आधार पर बसी है।
नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन (एनटीपीसी) ने जोशीमठ में तपोवन-विष्णुगाड़ जलविद्युत परियोजना के लिए रविग्राम और ढाक में दो टाउनशिप बनाईं। इससे पहले आईआईटी रुड़की के सिविल इंजीनियरिंग विभाग से भू-तकनीकी जांच कराई गई। तीन सदस्यीय टीम सितंबर 2008 में जोशीमठ गई। टाउनशिप साइट से मिट्टी के सैंपलों की जांच कराई और डेटा विश्लेषण के आधार पर रिपोर्ट दी।
पहाड़ी ढलान के साथ भूकंप के जोन-5 में आने वाले इस क्षेत्र में मिट्टी की प्रकृति विषम पाई गई। इसलिए आईआईटी ने सिफारिश की कि निर्माण का दबाव 8.0 टन प्रति स्क्वायर मीटर से अधिक नहीं होना चाहिए। उधर, एनटीपीसी का दावा है कि जोशीमठ में उनकी टाउनशिप सुरक्षित है। यहां लाइट वेट स्ट्रक्चर हैं। बरसाती नाले का ट्रीटमेंट किया है।