फटी जीन्स पर फिर फसे पूर्व सीएम तीरथ, बयान पर कायम रहने की कही बात फिर खड़ा हुआ बखेड़ा विपक्ष को मिला मौका बीजेपी कर रही बचाव।।
देहरादून।
अपने विवादित बयानों की बजह से मीडिया की सुर्खियां बटोरने के कारण मुख्यमंत्री की कुर्सी गाँवने वाले बीजेपी के गढ़वाल सांसद पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत लम्बे समय के बाद एकबार फिर अपने पुराने बयान को दोहराते हुए मीडिया की सुर्खियां बने हुए है इसबार पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ रावत के द्वारा एकबार फिर से अपने पुराने बयान को दोहराते हुए कहा मैं जीन्स का बिरोधी नही हूँ मैं भी अपने छात्र जीवन मे जीन्स पहनता था लेकिन हमें फटी जीन्स से ऐतराज है इसके खिलाफ हमने मुख्यमंत्री रहते हुए भी जो बयान दिया था हम उस पर अभी भी कायम है ….इसके साथ ही पूर्व सीएम ने इसकी व्याख्या करते हुए कहा कि फटा कपड़ा पहनना हमारी संस्कृति के खिलाफ है इसे अच्छा नही माना जाता है आज हमारी संस्कृति को पश्चिमी देश भी धारण कर रहे है जब भी हमारे यँहा विदेशी महिला पर्यटक आती है वो साड़ी पहनती है लेकिन हमारे यँहा के युवा युवती फटी जीन्स पहनकर पश्चिमी सभ्यता को अपना रहे है इतना ही नही पूर्व सीएम ने आगे कहा जीन्स अगर फटी नही है तो उसे कैंची से काट कर पहनते है हम इसके खिलाफ है और अपने बयान पर अभी भी कायम हूँ।
इस बयान ने एकबार फिर से बखेड़ा खड़ा कर दिया है जिसको लेकर बीजेपी की ओर से लीपापोती की जा रही है वंही दूसरी ओर विपक्षी पार्टी कांग्रेस को बैठे बिठाए मुद्दा मिल गया और कांग्रेस ने बयान जारी करते हुए कहा में प्रदेश में पलायन ,बेरोजगारी, महंगाई से जनता त्रस्त है जिसपर सांसद व पूर्व मुख्यमंत्री का कोई नजरिया नही है क्योंकि सांसद तीरथ ही नही बल्कि पूरी भाजपा अपना मानसिक सन्तुलन खो चुकी है इसलिए ऐसा बयान बीजेपी दे रही है जोकि महिलाओं का अपमान है ..जिसकी निगानहे सिर्फ महिलाओं के पहनावे पर है।
यँहा आप को बता दे कि तीरथ रावत ने दरअसल, श्रीनगर गढ़वाल में इस्कॉन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बतौर चीफ गेस्ट कल हिस्सा लिया था उस दौरान यह बात कही ।
जाहिर है सांसद के नाते तीरथ सिंह रावत के पास अपने क्षेत्र की जनता के जीवन को सुगम बनाने के लिए कितने कामकाज कराए यह बताने के लिए बहुत कुछ दिख नहीं रहा। लिहाजा मौका मिलते ही वे नैतिक पुलिस बनकर डंडा लेकर समाज को रास्ता दिखाने निकल पड़ते हैं। सवाल है कि अगर फटी जींस पर वे सही थे और आज भी अपने बयान पर कायम हैं तो बयान देकर माफी किसको खुश करने के लिए मांग रहे थे? तब क्या सिर्फ मुख्यमंत्री की अपनी कुर्सी बचाने को माफी माँगने का ढोंग कर रहे थे या मोदी-शाह और पार्टी के दबाव में मजबूर हो गए थे? और अगर तब बयान देकर माफी माँगनी पड़ी थी तो आज उसी बयान पर कायम रहकर किसको ठेंगा दिखाना चाह रहे?