उत्तराखंड

हाथी–लेपर्ड आतंक से उबल पड़ा हल्दूचौड़! भारी जनदबाव के आगे झुके डीएफओ

हाथी–लेपर्ड आतंक से उबल पड़ा हल्दूचौड़! भारी जनदबाव के आगे झुके डीएफओ,सरकार के दावों और जमीनी हकीकत में गहरा अंतर उजागर।

रिपोर्टर गौरव गुप्ता।

लालकुआँ-तराई के ग्रामीण इलाकों में हाथी और लेपर्ड का आतंक चरम पर है। लगातार बढ़ती वन्यजीव गतिविधियों से त्रस्त ग्रामीण अब उबल पड़े हैं। हल्दूचौड़ क्षेत्र के हरिपुर बच्ची, भानदेव, नवाड़, राधा बंगर, गंगापुर, गोपीपुरम व बच्चीधर्मा समेत कई गांवों में दर्जनों किसान भारी संख्या में इकट्ठा होकर अपना आक्रोश लेकर सामने आए। गांवों में रोज़ शाम ढलते ही हाथियों की आवाजाही शुरू होने से ग्रामीणों की रातें दहशत में कट रही हैं।

हाथी प्रभावित क्षेत्रों का DFO ने किया दौरा — ग्रामीणों ने रखा दर्द।

यहाँ तराई केंद्रीय वन प्रभाग रुद्रपुर के प्रभागीय वन अधिकारी (DFO) उमेश चंद्र तिवारी ने सोमवार को हाथी प्रभावित गांवों हरिपुर बच्ची, भावदेव, नवाड़, राधा बगर, गंगापुर सहित आधा दर्जन से अधिक क्षेत्रों का निरीक्षण किया।

उन्होंने ग्रामीणों से बातचीत कर हाथियों के विचरण, फसलों के नुकसान और पिछले दिनों के घटनाक्रम की जानकारी ली।

इस दौरान ग्रामीणों ने उनसे सोलर फेंसिंग दुरुस्त कराने, जंगल में खाई खोदने, रात्रिकालीन गश्त बढ़ाने और मुआवजे की प्रक्रिया तेज करने की मांग रखी। भारी जनदबाव को देखते हुए DFO तिवारी ने संबंधित अधिकारियों को शीघ्र प्रभावी कार्रवाई के निर्देश देने का आश्वासन दिया।

गांवों में हाथियों का उत्पात — सैकड़ों एकड़ फसल बर्बाद, रातभर दहशत

पिछले कुछ हफ्तों में हाथियों के झुंड ने हल्दूचौड़ क्षेत्र में भारी नुकसान पहुंचाया है।

किसानों का कहना है कि हाथियों ने सैकड़ों एकड़ फसल कुचल डाली,
घरों और खेतों के पास तक पहुंचकर रातभर दहशत फैलाए रखी महिलाएँ और बच्चे अंधेरा होने के बाद घर से बाहर निकलने में डर रहे हैं इस बीच, लेपर्ड की बढ़ती मूवमेंट ने स्थिति और भयावह बना दी है। कई गांवों में बच्चों को अकेले बाहर निकलने तक की अनुमति नहीं दी जा रही।

सरकार के दावे बनाम जमीनी हकीकत — ‘बजट की कमी’ का रोना

सरकार लगातार दावा कर रही है कि
“रिहायशी इलाकों में वन्यजीवों की आवाजाही रोकने के लिए हरसंभव कदम उठाए जा रहे हैं… बजट की कोई कमी नहीं है”
लेकिन जब DFO तिवारी निरीक्षण के दौरान ग्रामीणों के बीच पहुंचे, तो उन्होंने स्वयं ही ‘बजट सीमित होने’ की मजबूरी बताई।

यही बात ग्रामीणों के आक्रोश को और भड़का गई।

ग्रामीणों का आरोप है कि विभाग बार–बार पुराने असफल प्रयोगों को उपलब्धि बताकर लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रहा है अगर सरकार कह रही है बजट की कमी नहीं, तो काम क्यों नहीं दिख रहा ।इस सवाल पर DFO का जवाब टालमटोल भरा रहा।ग्रामीणों की चेतावनी“यह सिर्फ शुरुआत है, आंदोलन प्रदेश-स्तर तक जाएगा”
हाथी और लेपर्ड के लगातार बढ़ते आतंक के बीच ग्रामीण अब आर–पार के मूड में दिख रहे हैं।
उनका कहना है—

यदि जल्द राहत नहीं मिली, तो आन्दोलन जिला नहीं, पूरे प्रदेश में फैलेगा।
सरकार के बड़े दावों और वन विभाग की जमीनी हकीकत में बढ़ता अंतर अब ग्रामीणों के धैर्य को खत्म कर रहा है।
तराई का जंगल और इंसान के बीच संघर्ष अब एक निर्णायक मोड़ पर खड़ा नजर आ रहा है।

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