हरीश रावत ने कहा कि लोकतंत्र सत्ता और विपक्ष की पटरी पर चलता है। दोनों पटरियों को मजबूत होना चाहिए। जगतगुरु दोनों पटरियों की मजबूती के लिए बखूबी सामंजस्य बनाने में समर्थ हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की पुस्तक मेरा जीवन लक्ष्य उत्तराखंडियत का विमोचन एक साधे समारोह में जगद्गुरु शंकराचार्य राजराजेश्वराश्रम महाराज ने किया। इस दौरान जगद्गुरु शंकराचार्य ने कहा कि पुस्तक के रूप में हरीश रावत ने एक शोधग्रंथ तैयार किया है, इसलिए इसे हर विद्यालय में होना चाहिए, ताकि हमारे बच्चे बचपन से ही उत्तराखंडियत को समझ सकें।
लोकार्पण समारोह में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा समेत तमाम हस्तियां उपस्थित हुईं। हरीश रावत की ओर से रचित 654 पन्नों की किताब में 93 अध्याय शामिल किए गए हैं। पाखी प्रकाशन ने इसका प्रकाशन किया है। इसमें उनके बचपन से लेकर जवानी और अब तक की राजनीतिक यात्रा का सिलसिलेवार उल्लेख करने के साथ ही उत्तराखंडियत के तमाम पहलुओं को छुआ गया है।
लोकार्पण समारोह को संबोधित करते हुए जगद्गुरु शंकराचार्य ने कहा कि जितना वह हरीश रावत को जानते हैं, उस आधार पर वह कह सकते हैं कि उत्तराखंड और हरीश अलग-अलग नहीं हैं। उन्होंने अपनी पुस्तक उत्तराखंडियत में जिस अंदाज में उत्तराखंड के विभिन्न पहलुओं को उकेरा है, उसकी जितनी प्रशंसा की जाए, कम है। जगद्गुरु ने कहा कि आज बहुत से लोग उनसे पूछते हैं, क्या हरीश रावत चुनाव लड़ेंगे, तो वह कहते हैं कि हरीश ने जीवनभर राजनीति की है, बुढ़ापे में वह गड्ढ़े नहीं खोदेंगे, बल्कि राजनीति ही करेंगे। उन्होंने कहा कि हरीश को चुनाव जरूर लड़ना चाहिए।
इस अवसर पर हरीश रावत ने कहा कि लोकतंत्र सत्ता और विपक्ष की पटरी पर चलता है। दोनों पटरियों को मजबूत होना चाहिए। जगतगुरु दोनों पटरियों की मजबूती के लिए बखूबी सामंजस्य बनाने में समर्थ हैं। उन्होंने कहा कि आज कुल लोगों ने सनातन धर्म को अपनी बपौती बना लिया है, जबकि सनातन सबका है। यह गंगा की तरह है, जिसमें सब समाहित हो जाते हैं। इस दौरान हरीश ने किताब के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए उत्तराखंडियत को अपने शब्दों में परिभाषित किया।
इस अवसर पर कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि एक साथी कह रहे हैं, हरीश ने उत्तराखंडियत शब्द उनसे चुरा लिया। उन्होंने भाजपा विधायक किशोर उपाध्याय का नाम लिए बगैर कहा कि आप कभी वनाधिकार की बात करते थे, उत्तराखंडियत और पलायन की बात करते थे, श्रीदेव सुमन का नाम रटते थे, भाजपा में जाते अपने इन मूल्यों को क्यों और कैसे भूल गए, पहले इसका जवाब देना चाहिए। उन्होंने हरीश को अपना गुरु बताते हुए उन्हें राजनीति की पाठशाला बताया। इस दौरान नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने भी पुस्तक के कई खंडों पर प्रकाश डालते हुए बहुत ही सरल शब्दों में किताब की विवेचना की।
इस दौरान विधायक हरीश धामी, फुरकान अहमद, अनुपमा रावत, पूर्व विधायक मनोज रावत, सतपाल ब्रह्मचारी, लक्ष्मी अग्रवाल, मोहित उनियाल, पूर्व आईएएस विनोद शर्मा आदि मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन सुरेंद्र कुमार ने किया।