देहरादून।
उत्तराखंड में सरकार नए जिलों के गठन को लेकर भी विचार विमर्श करने जा रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मीडिया से बातचीत करते हुए इस बात के संकेत दिए हैं। राज्य में बीते लंबे समय से नए जिलों की मांग उठती रही है जिसे देखते हुए अब जनप्रतिनिधियों व सामाजिक एक्टिविस्ट से भी सरकार राय मशवरा करेगी । मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है की नए जिलों के गठन में इंफ्रास्ट्रक्चर समेत क्या-क्या व्यवस्थाएं जुटाने है इस बात का भी मंचन किया जाएगा। मुख्यमंत्री धामी ने कहा है छोटी प्रशासनिक इकाइयों के गठन को लेकर लंबे अरसे से उत्तराखंड में मांग चलती आ रही है।
उत्तराखंड में अभी 2 मंडल, 13 जिले
उत्तराखंड में इस समय दो मंडल और 13 जिले मौजूद हैं। इनमें मुख्य रूप से थराली, गैरसैंण, कर्णप्रयाग, ऋषिकेश-नरेन्द्रनगर, यमुनोत्री, रुड़की, कोटद्वार, डीडीहाट, रानीखेत, रामनगर-काशीपुर समेत एक दर्जन से अधिक जगहों को जिला बनाने की मांग होती रही है। यमुनोत्री जिला बनाओ समिति से जुड़े लोगों का कहना है कि पिछले दो दशक से अश्वासन पर अश्वासन ही मिले हैं। धरातल पर स्थिति जस की तस बनी हुई है।
2011 में भाजपा सरकार के तत्कालीन मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने स्वतंत्रा दिवस के मौके पर चार नए जिलों के गठन की जो घोषणा की वह धरातल पर आने से पहले ही दम तोड़ गई। निशंक की इस घोषणा को उनके बाद आए भाजपा सरकार के ही तत्कालीन मुख्यमंत्री भुवन चन्द्र खंडूरी ने शासनादेश जारी किया लेकिन उससे आगे नहीं बढ़ पाया। भाजपा इसके लिए कांग्रेस की सरकार पर आरोप लगाती रही है। डीडीहाट, रानीखेत, कोटद्वार और यमुनोत्री, इन चार जिलों के गठन के निशंक के आदेश के संबंध में हुआ यह कि जिलों के क्रियान्वयन की कवायद शुरू होने से पहले ही विधानसभा चुनाव हुए और कांग्रेस की सरकार आ गई। जिसके मुखिया विजय बहुगुणा बने, उन्होंने राज्य में अन्य स्थानों पर भी चल रहे जिलों के निर्माण की मांग को देखते हुए ने जिलों के गठन का मसला हल करने के लिए तत्कालीन राजस्व परिषद के अध्यक्ष की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय प्रशासनिक इकाईयों के पुनर्गठन के लिए आयोग का गठन का आदेश किया। इससे पूरा मामला ही ठंडे बस्ते में चला गया।