रुद्रप्रयाग, उत्त्तराखण्ड।
” *हजारों मिठाईयां चखी है जमाने की**
*मगर खुशी के आंसू से ज्यादा मीठा कुछ भी नही”*
ये शब्द महाराष्ट्र से केदारनाथ धाम आयी महिला अंजलि के मुंह से भले ही न निकले हों, पर इनके चेहरे के भाव इससे कुछ ज्यादा ही बयां कर रहे थे। हुआ यूं कि ये लोग अपने पूरे परिवार के साथ श्री केदारनाथ धाम यात्रा पर आये हुए थे।
02 छोटे बच्चे, जो बिल्कुल हमशक्ल थे, गौरीकुण्ड घोड़ा पड़ाव क्षेत्र में अत्यंत परेशानी की दशा में भटक रहे थे। ड्यूटीरत पुलिस कार्मिकों को स्पष्ट रूप से नजर आ रहा था कि, इनके साथ कोई जिम्मेदार तो दिखाई नहीं दे रहा, कहीं कुछ बात न हो। इन बालकों से बात की गयी तो इनके द्वारा अपना नाम क्रमश: प्रियांश और प्रिंस बताया गया और रोने लगे।
*यह जानकारी जैसे ही केदारनाथ धाम यात्रा व्यवस्था के संचालन हेतु देहरादून से आये अपर पुलिस अधीक्षक स्वप्न किशोर सिंह, को ज्ञात हुई, उनके द्वारा तुरन्त बच्चों को भरोसा दिलाया गया कि आपके मम्मा पप्पा को अभी आपके पास लेकर आ रहे हैं। हालांकि ये दोनो बच्चे मात्र 8-9 साल की उम्र के थे तो अपने माता-पिता की हुलिया के बारे में ज्यादा नहीं बता पा रहे थे। इनकी परेशानी को दूर करने यानि बच्चों के माता-पिता को तलाश करने हेतु अधीनस्थ पुलिस बल को निर्देशित किया गया।* *गौरीकुण्ड पुलिस टीम द्वारा द्वारा समस्त यात्रा मार्ग में स्थापित पुलिस चेक पोस्ट से सम्पर्क स्थापित किया गया किन्तु फिर भी सफलता नही मिल पाई।*
*इस पर अपर पुलिस अधीक्षक स्वप्न किशोर सिंह के निर्देश पर दो पुलिस टीमें उक्त बालकों के माता-पिता की तलाश हेतु भेजी गई जिनके द्वारा सम्पूर्ण यात्रा मार्ग का पैदल भ्रमण कर लगभग 4 घंटे तक चले सर्च अभियान के बाद पुलिस को सफलता मिली बच्चों को माता-पिता के सुपुर्द किया गया।*
*अपने बालकों को सुरक्षित पाकर मां के भावों को शब्दों में बयां नही कर सकते। बरबस यूं ही बच्चों के माता पिता ने उत्त्तराखण्ड पुलिस का आभार प्रकट करते हुए कहा आप लोग नहीं होते तो क्या होता।
*इस सराहनीय कार्य में उपनिरीक्षक अमित मोहन ममगाईं, आरक्षी सन्दीप झिंक्वाण सहित गौरीकुण्ड में नियुक्त पुलिस बल का महत्वपूर्ण योगदान रहा।*