उत्तराखंड

वन भूमि पर अतिक्रमण कर बनाई गई 15 मजारों को ध्वस्त, धार्मिक स्थल हों या मकान-दुकान सभी हटाए जाएंगे

वन विभाग की ओर से अतिक्रमण के खिलाफ की गई कार्रवाई के बाद अतिक्रमणकारियों में हड़कंप की स्थिति है। वहीं विभाग का भी हौसला बुलंद है। सरकार की ओर से वन मंत्री सुबोध उनियाल ने स्पष्ट किया है कि यह शुरूआत है। जहां कहीं भी वन भूमि पर अतिक्रमण पाया जाएगा, धार्मिक स्थल हों या मकान-दुकान, सबका नामोनिशान मिटाया जाएगा।

वन संरक्षण अधिनियम 1980 के बाद जितने भी ऐसे धार्मिक अतिक्रमण हुए हैं, सभी को हटाया जाएगा। उन्होंने कहा इसके लिए अधिकारियों को युद्धस्तर पर कार्रवाई शुरू करने के आदेश दिए गए हैं। दो दिन पहले देहरादून वन प्रभाग के तहत वन भूमि पर अतिक्रमण कर बनाई गई 15 मजारों को ध्वस्त कर दिया गया था।

मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए यह कार्रवाई विभाग की ओर से गुपचुप ढंग से की गई, लेकिन अमर उजाला में मामला उजागर होने के बाद यह मुद्दा चर्चा का विषय बना है। इस विषय में अमर उजाला ने वन मंत्री से बातचीत की।

पहला सवाल यही था वन विभाग की ओर से अतिक्रमण बताकर 15 मजारों को तोड़ा गया है, क्या ऐसे मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारों या चर्च को भी तोड़ा जाएगा। इस पर वन मंत्री ने कहा, किसी भी अतिक्रमण को धार्मिक चश्मे से नहीं देखना चाहिए। स्पष्ट तौर पर सभी अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

सभी डिविजनों से मंगाई गई रिपोर्ट

इसकी शुरूआत देहरादून वन प्रभाग से की गई है। आने वाले दिनों में इस अभियान को और तेज किया जाएगा। विभाग को स्पष्ट आदेश दिए गए हैं ऐसे मामलों में सख्ती से निपटा जाए। फिलहाल सभी डिविजनों से रिपोर्ट मंगाई गई। उसे सूची का वर्गीकरण होते ही तेज होगी कार्रवाई
प्रमुख सचिव वन आरके सुधांशु ने कहा कि पूर्व में हाईकोर्ट के निर्देश पर यह कार्रवाई की जा रही है। प्रदेश के तमाम वन प्रभागों से ऐसे अतिक्रमणों का चिन्हीकरण कर कंपाइल सूची तैयार की जा रही है। इसके बाद इसका वर्गीकरण किया जाएगा।
इस सूची कुछ ऐसे में धार्मिक स्थल हैं, जहां कोई न कोई रह रहा है, मतलब वह आबाद हैं। जबकि कुछ ऐसे भी अतिक्रमण हैं, जो किसी ने बनाकर छोड़ दिए हैं। कुछ ऐसे हैं जो 1980 में नोटिफिकेशन से पहले के हैं। इनका वर्गीकरण कर लिया गया है, उन पर कार्रवाई शुरू कर दी गई है, जो आगे भी जारी रहेगी।

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