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बागेश्वर के अंतिम स्वतंत्रता सेनानी राम सिंह चौहान का निधन, राजकीय सम्मान के साथ विदा किया गया

पौड़ी गढ़वाल: स्वाधीनता सेनानी राम सिंह चौहान की अब सिर्फ यादें शेष हैं। आजाद हिंद फौज के सिपाही रहे राम सिंह चौहान का बागेश्वर में निधन हो गया।

सिपाही राम सिंह चौहान का निधन

उन्होंने 101 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली। तमाम नेताओं, सामाजिक संगठनों और स्थानीय लोगों ने स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी के निधन पर शोक जताते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी। राम सिंह चौहान कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे। उनका जिला अस्पताल में इलाज चल रह था। परिजनों ने बताया कि कुछ दिन पहले उनकी तबीयत अचानक खराब हो गई थी।

उन्हें बुखार के साथ ही कफ की शिकायत थी। अस्पताल में भर्ती होने के बाद उनके स्वास्थ्य में सुधार हो रहा था, लेकिन सुबह उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई और उनका निधन हो गया। राम सिंह चौहान पासदेव वज्यूला क्षेत्र में रहते थे। वो गढ़वाल राइफल्स में रहने के दौरान ही आजाद हिंद फौज का हिस्सा बन गए थे। उन्होंने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के साथ आजादी के आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।

 

22 फरवरी 1922 को जन्मे राम सिंह चौहान के पिता तारा सिंह भी साल 1940 में गढ़वाल राइफल्स में तैनात थे। उनके पिता ने पहले विश्व युद्ध में हिस्सा लिया था। बाद में राम सिंह चौहान भी गढ़वाल राइफल्स का हिस्सा बने। नेताजी सुभाष चंद्र बोस से प्रभावित होकर साल 1942 में उन्होंने अपने साथियों के साथ आजाद हिंद फौज ज्वाइन कर ली।

साल 1972 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने स्वतंत्रता सेनानी राम सिंह चौहान को ताम्रपत्र से सम्मानित किया था। पिछले दिनों खेत में काम करते वक्त उनकी तबीयत बिगड़ गई, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। स्वतंत्रता सेनानी राम सिंह चौहान के निधन पर विधायक सुरेश गढ़िया समेत क्षेत्रीय नेताओं और संगठनों ने गहरा दुख जताया है।

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