सभी 63 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की जांच करेगा विद्युत सुरक्षा विभाग, विभाग ने टीमें की गठित
प्रदेश के 63 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की जांच विद्युत सुरक्षा विभाग करेगा। सचिव पेयजल ने इस संबंध में पत्र भेजा था, जिस पर विभाग ने टीमों का गठन कर दिया है। विद्युत सुरक्षा विभाग पहले हर प्लांट में कमियां बताएगा। पेयजल विभाग इन्हें दूर करेगा। इसके बाद विद्युत सुरक्षा विभाग दोबारा जांच करेगा और तभी सर्टिफिकेट जारी किया जाएगा।
गंगा, सहायक नदियों के नालों के लिए बने हैं छोटे प्लांट
नमामि गंगे परियोजना के तहत गंगा को स्वच्छ अविरल रखने के लिए इसकी सहायक नदियों में गिर रहे नालों पर भी छोटे-छोटे सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाए गए थे। यह प्लांट बेहद छोटी क्षमता के हैं। चमोली के जिस प्लांट में हादसा हुआ है, वह भी 24 घंटे में से करीब तीन घंटे चलाकर ही काम पूरा कर देता था। ऐसे 17 प्लांट की जिम्मेदारी एक ही कंपनी संभाल रही थी।जिम्मेदारी कंपनी की थी लेकिन अनदेखी विभाग की भी
सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाने वाली कंपनी की ही जिम्मेदारी थी कि वह 15 साल तक इसका संचालन करे। कंपनियों ने ये काम भी किया लेकिन इसमें लापरवाही बरती गई। कम वेतन पर अयोग्य कर्मचारी रखकर प्लांट चलाए जा रहे थे। जल संस्थान या पेयजल निगम के इंजीनियरों की जिम्मेदारी ये है कि वह अपने क्षेत्र के प्लांट का सुपरविजन करें। माना जा रहा है कि विभागीय स्तर पर इस मामले में अनदेखी हुई है।सभी प्लांट के साथ ही अपने ट्रांसफार्मर भी चेक करेगा यूपीसीएल