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बीकेटी अध्यक्ष का कार्यकाल समाप्त होते ही समिति में सुरु हुआ खेला , सीईओ ने जल्दबाजी में नियम विरुद्ध कर डाले तबादला।

देहरादून।।

निवर्तमान बोर्ड का कार्यकाल समाप्त होते ही श्री बदरीनाथ – केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) पुराने ढर्रे पर लौटती दिखाई पड़ रही है। सक्षम स्तर से बिना अनुमोदन के मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) द्वारा अपने अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन करते हुए वित्तीय व प्रशासनिक निर्णय लेना चर्चा का विषय बने हुए हैं। गृह परिक्षाओं के बीच और मध्य सत्र में बीकेटीसी द्वारा संचालित संस्कृत विद्यालयों के अध्यापकों के स्थानांतरण आदेश जारी करने के बाद सीईओ की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे हैं। विवाद की आशंका देखते हुए शिक्षकों के स्थानांतरण स्थगित कर दिए गए हैं। देखिए स्थान्तरण आदेश

गौरतलब है कि अजेंद्र अजय की अध्यक्षता वाले बीकेटीसी बोर्ड का कार्यकाल इस वर्ष सात जनवरी को समाप्त हो गया था। मंदिर समिति एक्ट में कार्मिकों की नियुक्ति से लेकर अनुशासनिक कार्यवाही, स्थानांतरण और वित्तीय प्रकरणों की स्वीकृति का अधिकार अध्यक्ष को प्रदान किया गया है। मगर बोर्ड का कार्यकाल समाप्त होते ही वर्तमान सीईओ विजय थपलियाल द्वारा अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जा कर वित्तीय मामलों में स्वयं ही निर्णय लेने के साथ ही कार्मिकों के स्थानांतरण तक किये जा रहे हैं।

सीईओ थपलियाल द्वारा फरवरी माह के अंत में बड़ी संख्या में बीकेटीसी द्वारा संचालित संस्कृत विद्यालयों के शिक्षकों के स्थानांतरण को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। सीईओ ने 21 फ़रवरी को स्थानांतरण आदेश जारी किये और विवाद बढ़ता देख चार दिन बाद 25 फ़रवरी को ये आदेश निरस्त कर दिए। सीईओ द्वारा किये गए इन आदेशों को लेकर तमाम तरह की चर्चाएं हैं। सूत्रों के मुताबिक यह भी जानकारी में आया है कि अध्यक्ष रहते अजेंद्र अजय ने बीकेटीसी के देहरादून कार्यालय में स्थित ऐसे कार्मिकों को जिनके पास कुछ भी काम नहीं था, उनको स्थानांतरित कर दिया था। मगर सीईओ थपलियाल ने उनमें से कई कार्मिकों को देहरादून कार्यालय स्थानांतरित कर दिया है।

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