उत्तराखंड

कड़ाके की सर्दी में बेघरों को सहारा देगा उत्तराखंड परिवहन निगम, मोबाइल रैन बसेरों में बदलेंगी रोडवेज बसें

उत्तराखंड परिवहन निगम की निष्प्रयोज्य (उपयोग में न लाई जाने वाली बसें) बसों का उपयोग मोबाइल रैन बसेरों के रूप में किया जाएगा। शहरी क्षेत्रों में बेघरों के अनुश्रवण के लिए गठित राज्य स्तरीय समिति की बैठक में अब इस मुहिम में तेजी लाने पर जोर दिया गया।

मोबाइल रैन बसेरों का उपयोग चारधाम यात्रा, कांवड़ यात्रा व स्नान पर्वों पर यात्रियों को सुविधा देने के लिए भी किया जाएगा। समिति ने नगर निगम देहरादून द्वारा तीन साल बाद भी निगम की दो बसें हासिल न कर पाने पर असंतोष जताया।

साथ ही नगर निगम को तत्काल ये बसें प्राप्त कर इनका उपयोग रैन बसेरों के रूप में करने के निर्देश दिए गए। बैठक में नगर निकायों, विशेषकर नवगठित निकायों से अपने-अपने क्षेत्रों में रैन बसेरों के प्रस्ताव शहरी विकास निदेशालय को उपलब्ध कराने को भी कहा गया।

समिति की बैठक में विभिन्न विषयों पर चर्चा की गई

पूर्व मुख्य सचिव एवं समिति के अध्यक्ष एन रविशंकर की अध्यक्षता में मंगलवार को सचिवालय में हुई समिति की बैठक में विभिन्न विषयों पर चर्चा की गई। सचिव शहरी विकास दीपेंद्र चौधरी के अनुसार समिति की 20 मई 2019 को हुई बैठक में परिवहन निगम की निष्प्रयोज्य बसों को मोबाइल रैन बसेरों में तब्दील करने का निर्णय लिया गया था।

तब पायलट प्रोजेक्ट के रूप में देहरादून में दो बसों से इसकी शुरुआत करने का निश्चय किया गया। इसके लिए नगर निगम देहरादून को दो निष्प्रयोज्य बसें उपलब्ध कराने के लिए परिवहन निगम को 1.71 लाख रुपये धनराशि दी गई थी।

समिति ने नगर निगम के रवैये पर असंतोष जताते हुए उसे निर्देश दिए कि वह तत्काल इन बसों को प्राप्त कर मोबाइल रैन बसेरे के रूप में उन स्थानों पर लगाना सुनिश्चित करे, जहां सुलभ शौचालय अथवा मोबाइल शौचालय हैं। शहरी विकास सचिव के अनुसार वर्ष 2018 में राज्य में 90 नगर निकाय थे। तब इनमें शहरी बेघरों का तृतीय पक्ष सर्वेक्षण कराया गया। इसमें 2202 शहरी बेघर चिह्नित हुए।

इनके लिए दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन और निकायों के वित्तीय संसाधन से 19 रैन बसेरों का निर्माण कराया गया। इनकी क्षमता 1592 है। इनमें पांच रैन बसेरे निर्माणाधीन हैं। तृतीय पक्ष सर्वेक्षण में ये बात भी सामने आई कि बेघरों के लिए आश्रय स्थलों की संख्या कम है।

उन्होंने बताया कि अब राज्य में नगर निकायों की संख्या 102 हो गई है। इसे देखते हुए समिति ने नवगठित निकायों को अपने क्षेत्र में बेघरों का सर्वेक्षण कराने को कहा है। साथ ही नवगठित निकायों के अलावा जिन नगर निकायों में कम क्षमता के रैन बसेरे हैं, उन्हें नए रैन बसेरों के निर्माण के लिए भूमिचयन कर डीपीआर सहित इसके प्रस्ताव शहरी विकास निदेशालय को भेजने के लिए कहा गया है।

वित्त आयोग से उपलब्ध हो धनराशि

बैठक में बताया गया कि दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन योजना मार्च 2023 में समाप्त हो रही है।

ऐसे में नए रैन बसेरों के निर्माण व रखरखाव के लिए नगर निकायों को भविष्य में धन की आवश्यकता होगी। निर्णय लिया गया कि धन की उपलब्धता के लिए विभाग द्वारा आगामी वित्त आयोग में इसका प्रविधान करने की संस्तुति की जाएगी। इसके अलावा राज्य सरकार के बजट में भी इसका प्रविधान किया जाना चाहिए।

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