कीड़ा जड़ी की तस्करी रोकने के लिए सेटेलाइट से की जाएगी रिसोर्स मैपिंग, सूचीबद्ध होगा क्षेत्र
दुनिया में अपने अद्भुत फायदों के लिए जानी जाने वाली बेशकीमती कीड़ा जड़ी (यारसा गंबू) के विदोहन का फायदा माफिया और कालाबाजारियों के बजाय स्थानीय लोगों को मिले, इसके लिए धामी सरकार की ओर से नए सिरे से प्रयास शुरू किए गए हैं। इसके तहत उत्तराखंड में सेटेलाइट के माध्यम से रिसोर्स मैपिंग और ग्राउंड सर्वे किया जाएगा, ताकि कीड़ा जड़ी के क्षेत्र को सूचीबद्ध किया जा सके। इसके साथ ही शासनादेश में संशोधन किया जाएगा।
हिमालयन वियाग्रा के नाम से मशहूर कीड़ा जड़ी से स्थानीय लोगों की आजीविका को बढ़ाया जाएगा। इस संबंध में उत्तराखंड सरकार की ओर से वर्ष 2018 में विस्तृत गाइडलाइन जारी की गई थी। इसमें कीड़ा जड़ी की तस्करी रोकने के साथ स्थानीय लोगों को स्वरोजगार से जोड़ने की कार्ययोजना तैयार की गई थी। इसमें कीड़ा जड़ी के संग्रह, विदोहन और रॉयल्टी को लेकर नियम बनाए गए थे। बावजूद इसके अब तक कीड़ा जड़ी की तस्करी पर लगाम नहीं लग पाई है।
आर्थिकी को बढ़ाया जा सकेप्रमुख वन संरक्षक अनूप मलिक ने बताया कि ग्रामीणों की आर्थिकी कीड़ा जड़ी से कैसे सशक्त हो, इस संबंध में चर्चा के बाद यह बात सामने आई है कि शासनादेश में कुछ खामियां हैं, जिन्हें दूर किए जाने की जरूरत है इसलिए शासनादेश में आवश्यक संशोधन किया जाएगा।
शीघ्र ही इसका ड्राफ्ट तैयार कर शासन को भेजा जाएगा, ताकि इसके व्यापार को स्थानीय नागरिकों (संग्रहकर्ता) से जोड़ते हुए उनकी आर्थिकी को बढ़ाया जा सके। इसमें उन लूप होल को भी बंद किया जाएगा, जिससे इसकी कालाबाजारी होती है। राज्य के ऊंचाई वाले पर्वतीय क्षेत्रों में मई से 15 जुलाई तक कीड़ा जड़ी का विदोहन किया जाता है।