उत्तराखंडशासन

उत्तराखंड के सूचना एवं लोक सम्पर्क विभाग के अजीबो गरीब काम, चापलूस चैनलों पर मेहरबान।

उत्तराखंड ,देहरादून।

उत्तराखंड को भरष्टाचार मुक्त प्रदेश बनाने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी तमाम प्रयास कर रहे है जिसको लेकर कई सशक्त कानून बना कर प्रदेश की जनता को वेहतर सन्देश देने का काम भी किया है इसीलिए मुख्यमंत्री अपने हर संबोन्धन में भय व भ्रष्टाचार मुक्त उत्तराखंड का नारा भी देते है लेकिन अफसोस ये है कि जो विभाग मुख्यमंत्री के अधीन हो जिसकी जिम्मेदारी मुख्यमंत्री द्वारा दिये गए निर्देशों का अनुपालन करवाना हो व उनका प्रचार प्रसार करा कर मुख्यमंत्री की छवि को वेहतर बनान हो वह विभाग ही अपने काम को नियम विरुद्ध करने में जुटा हो तो अन्य विभागो का क्या हाल होगा इसका अंदाजा तो आसानी से लगाया ही जा सकता है।

जी हाँ आज एक छोटी सी जानकारी सूचना विभाग की उजागर कर रहा हूं उससे अंदाजा लग जायेगा कि असल मे और क्या क्या गड़बड़ झाला इस विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों के द्वारा किया जा रहा है ,कैसे पैसों का दुरुपयोग किया जाता है कोई इस विभाग से सीखे….वर्तमान में सूचना विभाग के आंकड़ों के अनुसार बात करें तो वर्तमान में कुल 41 चैनल सूचीबद्ध है जिनमे से 10 न्यूज चैनल की सूचीबद्धता पुनः होने की प्रक्रिया में है व 2 नये न्यूज चैनल एक असम से संचालित होने वाला हॉर्नबिल और एक सर्वधर्म संगम है जिनकी सूचीबद्धता की प्रक्रिया भी गतिमान है यानी कुल मिलाकर 41 न्यूज चैनल सूचना विभाग की सूचीबद्धता में सम्मिलित है जैसा कि विभाग द्वारा सूचना के अधिकार में उपलब्ध करवाया गया है ….अब बात करते है कि सूचना विभाग जिन न्यूज चैनलों को विज्ञापन के नाम पर एक वित्तीय वर्ष में करोड़ो रुपये के विज्ञापन जारी करता है उन चैनलो पर क्या चल रहा है और चैनल कितने डीटीएच पर खुले है और कितने केवल पर खुले है प्रतिदिन कितने बुलिटीन चलते है आदि इन सभी पहलुओं की मॉनिटरिंग करने के लिए भी विभाग द्वारा एक एजेन्सी को हायर किया है उसकी जिम्मेदारी है कि वह इन सभी न्यूज चैनलों की मॉनिटरिंग करे और विभाग को प्रतिदिन की रिपोर्ट सौपे जब हमने इससे संबंधित जानकारी विभाग से मांगी तो विभाग ने जानकारी देते हुए कहा श्रीमन्त कलर्स चैकर्स नाम की संस्था को यह जिम्मेदारी दी गयी है उसके द्वारा मोनिटरिंग की जाती है लेकिन यह संस्था भी सिर्फ खाना पूर्ती करती है और विभाग को भी आरओ काटने और भुगतान करने के अतिरिक्त ज्यादा दीन दुनिया से मतलब भी नही है कि जिन चैनलों को हम करोड़ो रूपये का विज्ञापन जारी करते है वो कंही चलते भी है या नही यदि चलते है तो क्या सरकार की वेहतर खबरें दिखाते भी है या सूचीबद्धता के समय जिन डीटीएच पर संचालित हो रहे थे उन सभी प्लेटफार्म पर निरन्तर बने हुए है या उसके बाद डिस्ट्रीब्यूशन का पैसा बचा कर सूचना विभाग से सांठगांठ कर उसी दर का भुगतान तो नही ले रहे है खैर ये भी छोड़ो हद तो तब हो गयी कि जो चैनल सूचना विभाग में सूचीबद्ध भी है उनमें से 8 ऐसे न्यूज चैनल है जिनकी मॉनीटरिंग भी नही होती है ये रहे
सूचना विभाग की दया पर बिना मॉनीटरिंग के चलने वाले न्यूज चैनल ।
1.आर्यन टीवी नेशनल
2.अनादि
3.जे के एल 24×7
4.डी एन एन
5.एम के एन न्यूज
6.के न्यूज
7.सर्व धर्म संगम(ये चैनल अभी सूचीबद्धता की प्रक्रिया में है)
8.सुदर्शन न्यूज
9.साधना प्राइम न्यूज

यंहा आपको बता दे कि 32 सूचीबद्ध न्यूज चैनलों की मॉनिटरिंग होती है उनमें से कुछ विभिन्न भाषा मे चलने वाले ऐसे चैनल है जो महीने भर में 8 से 10 दिन ही उत्तराखंड की खबरें चलाते है इसके अतिरिक्त सूचना विभाग लगभग 14 राष्ट्रीय स्तर के नामी चैनलों की मॉनिटरिंग करवाता है जबकि डीएवीपी की दरों पर इसके अतिरिक्त एक दर्जन से अधिक चैनलो को विज्ञापन जारी किए जाते है उनसे तो सिर्फ एक ही शर्त है कि डिवीपी लेटर के साथ शपथपत्र लाओ और आरओ ले जाओ देश के किसी कोने में कुछ भी चलाओ। जय महान सूचना एवं लोक सम्पर्क विभाग

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