उत्तराखंड, देहरादून।
उत्तराखंड में जब से भाजपा की सरकार आई है तब से भ्रष्टाचार मुक्त शासन का एक नारा बड़ा प्रचलित है जिसका प्रचार प्रसार सरकार के सूचना एवं लोकसंपर्क विभाग द्वारा बड़े बड़े होर्डिंग लगाकर, समाचार पत्रों ,न्यूज चैनलों में विज्ञापन देकर किया जाता रहा है लेकिन 24 वर्ष बाद भी राज्य की बिडम्बना ये है कि जिस विभाग के हाँथो में इसके प्रचार प्रसार की बागडोर है उसी विभाग में भरष्टाचार की बू रही है ।
खैर… आज बात सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की करे तो वर्तमान में सूचना विभाग में 40 से अधिक चैनल सूचीबद्ध है जिनको रेगुलर विज्ञापन जारी होते है , साथ ही डीएवीपी की दरों पर नेशनल चैनलों और बड़ी संख्या में विभिन्न राज्यों से संचालित उन राज्यो के क्षेत्रीय चैनल है उन्हें भी कमजोर नियमावली का फायदा उठाते हुए करोङो रुपये के विज्ञापन धड़ल्ले से जारी किए जा रहे है… आलम ये है कि विभाग के द्वारा जिन चैनलों को विज्ञापन जारी किए जाते है उनकी मोनिटरिंग करने के लिए श्रीमन्त कलर्स चैकर्स नाम की एक एजेन्सी को हायर किया गया है जिसका काम सिर्फ यही है कि वह मानकों के अनुरूप चैनलो की प्रतिदिन मोनिटरिंग करें और विभाग को इसकी रिपोर्ट भेजे कि उक्त चैनल किन किन डीटीएच प्लेटफार्म पर चल रहे है, कितने केवल नेटवर्क पर चल रहे है और कितने बजे किस चैनल पर उत्तराखंड का बुलिटीन चलता है आज उसमे उत्तराखंड सरकार के पक्ष व विपक्ष या जनसरोकार से सम्बंधित कौन कौन सी खबरें चलाई गई लेकिन हुजूर विभाग तो सूचना है जिसे सिर्फ सरकारी धन को ठिकाने लगाना है तो पारदर्शिता गई भाड़ में हस्र ये है कि विभाग के द्वारा ही प्राप्त जानकारी के मुताबिक बात करें तो मात्र क्षेत्रीय व नेशनल कुल 46 न्यूज चैनलों की ही मोनिटरिंग होती है वह भी सिर्फ खाना पूर्ति जिसमे कई ऐसे चैनल भी है सूचीबद्ध होने के बावजूद भी करोड़ो के विज्ञापन प्राप्त कर रहे लेकिन मोनिटरिंग नही की जा रही है कई ऐसे चैनल है जो सूचीबद्धता के समय मे 3 या 4 डीटीएच प्लेटफार्म पर होने के कारण उनके चैनल की विज्ञापन दर तय हुई थी निरंतर उसी दर पर उन चैनलों के विज्ञापन जारी किए जा रहे है विभाग उनसे डीटीएच का अनुबन्ध समाप्ति के बाद का पुनः अनुबन्ध उस डीटीएच प्लेटफार्म से हुआ है या नही माँगने की जहमत तक नही उठा रहा है बस धड़ल्ले से आरओ काटने और उनका भुगतान करने में मस्त है …और तो और नियमावली के आधार पर डीजी सूचना को किसी भी चैनल को डीएवीपी की दरों पर अधिकतम एक वित्तीय वर्ष में 20 लाख तक का ही आर ओ काटने का अधिकार है उससे ऊपर आर ओ काटने से पहले डीजी सूचना को भी सरकार से अनुमोदन लेना होगा लेकिन सूचना विभाग का आलम ये है कि कोई चैनल देश के किसी छोर के प्रान्त से देहरादून में प्रवेश करता है उसके आते ही सूचना विभाग उसका स्वागत सीधे 20 से 30 लाख के आर ओ से कर ही देता है बस थोड़ी सेटिंग गेटिंग विभाग में होनी चाहिए फिर चांहे वह चैनल उत्तराखंड में कंही दिखाई देता हो या नही कोई देखता हो या नही बस विभाग की शर्त एक है कि डीएवीपी का प्रमाणपत्र होना जरूरी है …अभी तो उक्त विभाग के सम्बन्ध में ये फुलझड़ी है कुछ सूचना के अधिकार के तहत अन्य जानकारियां मांगी गई है जैसे ही जानकारी मिलती है बड़ा खुलासा करेंगे ….थोड़ा इन्तजार करो