देहरादून।
सरकार द्वारा निर्दलीय विधायक उमेश कुमार पर चलाये जा रहे राजद्रोह व पूर्व सीएम के ऊपर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों पर कोर्ट में चल रहे मामले पर धामी सरकार द्वारा सुप्रिम कोर्ट में दायर एसएलपी को वापस लेने के फैसले के बाद उत्तराखंड की राजनीति एकबार फिर से ठंडक के मौषम में भी गर्म हो गयी है…. हालांकि त्रिवेंद्र कैंप से लेकर नाराज नेता खुलकर सामने नहीं आ रहे, लेकिन अंदरखाने इस फैसले की आलोचना जरूर कर रहे हैं। मालूम हो कि काफी समय से भाजपा के भीतर शीर्ष नेताओं के बीच रिश्ते असहज नजर आ रहे हैं।
वही सरकार के इस फैसले से निर्दलीय विधायक उमेश कुमार काफी खुश नजर आ रहे है और उन्होंने जहाँ एक ओर सरकार का आभार जताया है वंही सरकार का धन्यवाद देते हुए कहा कि सरकार को लगता है कि मेरे खिलाफ राजद्रोह का केस नहीं चलना चाहिए क्यूंकि मामला फ़र्ज़ी था पूरा देश जानता है सरकार मेरे खिलाफ राजद्रोह नहीं चलाना चाहती इसमें किसी क़ो क्या परेशानी है उनके अनुसार इसमें त्रिवेंद्र क़ो झटका लगने जैसी बात कहा आ जाती है
यँहा आप को बतादें कि पिछले दिनों गैरसैंण, भ्रष्टाचार, कमीशनखोरी को लेकर जताई गई चिंताओं में भी पार्टी के भीतर पनप रही धड़ेबाजी को भी इस रूप में देखा जा रहा था। अब त्रिवेंद्र से जुड़े मामले में सरकार के सुप्रीम कोर्ट से कदम खींचने से इसे और बल मिल गया है। सूत्रों के अनुसार इस मामले से त्रिवेंद्र कैंप भाजपा हाईकमान को भी वाकिफ करा चुका है।कुछ समय पहले त्रिवेंद्र के औधोगिक सलाहकार रहे के एस पंवार की कंपनी के खिलाफ मनी लांड्रिंग से संबंधित कार्रवाई को भी अब इसी सियासी खींचतान से जोड़ा जाने लगा है। त्रिवेंद्र कैंप इन मामलों के पीछे एक विधायक का हाँथ बता रहा है। उसका कहना है कि सरकार ने यह फैसला दबाव में लिया है। सरकार को ब्लैकमेल और गुमराह किया जा रहा है।