धामी, भट्ट के बीच अजेय सामंजस्य व अनुभवी युवा जोश के साथ मिशन 2024 में बीजेपी लगाएगी हैट्रिक।
देहरादून।
भाजपा ने आगामी लोक सभा चुनाव को देखते हुए रणनीतिक रुप से एक संतुलित युवा टीम को मैदान मे उतारा है। बेशक, अन्य दल विपक्षी कांग्रेस या अन्य जहाँ पुराने दिग्गजों पर दाव खेल रही है तो भाजपा किसी प्रयोग के बजाय युवा वर्ग को तरजीह दे रहा है। प्रदेश मे युवा मुख्यमंत्री से शुरू हुआ यह सिलसिला अब पार्टी ने संगठन मे भी शुरू हुआ है। भाजपा यह संदेश देने मे जरूर कामयाब हुई है कि वह युवा सरकार देने के साथ युवाओं को नेतृत्व सौंप कर आगे बढ़ रही है।
भाजपा का यह दाव 2022 मे सफल भी हुआ और पहली बार एक मिथक ही टूट गया जब धामी के नेतृत्व मे पार्टी ने बड़ी जीत हासिल कर वापसी की। भाजपा अब 2024 मे लोक सभा मे इसी फार्मूले पर चलती दिख रही है। नतीजा जहां धामी कई साहसिक निर्णय लेकर आगे बढ़ रहे है तो संगठन मे ऊर्जावान लोगों का एक समूह सरकार के लिए अतिरिक्त टॉनिक का कार्य करेगा। सरकार की योजनाओ को जन जन तक पहुचाने, आखिरी छोर पर खड़े व्यक्ति से संवाद और जनता तथा सरकार के बीच मे सेतु के जैसे खड़े संगठन मे युवाओं की अहम भूमिका हो सकती है।
संगठन ने जहां युवाओं को तरजीह दी है तो वहीं महिलाओ को भी प्रयाप्त स्थान कार्यकारिणी मे दिया है। यह सबसे राहत वाली बात भाजपा के लिए है कि कार्यकारिणी मे क्षेत्रीय और जातीय संतुलन पर बेहतर होम वर्क किया गया है।
प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने 27 सदस्यीय कार्यकारिणी मे 13 सदस्य गढ़वाल से 14 कुमायूँ से मौका दिया गया है। इसमे सभी जिलों को पर्याप्त अवसर मिला है। वरिष्ठ और युवा रही 6 महिलाए भी कार्यकारिणी का हिस्सा बनी तो 5 पूर्व विधायकों को शामिल कर युवा टीम मे अनुभव का समावेश किया गया है। वहींजातीय संतुलन को भी साधा गया है। बेहतर कार्य करने वाले पदाधिकारियों को उसी पद पर दोबारा मौका दिया गया है जिससे वह पूर्व की भाँति अपनी उपयोगिता का लाभ दिला सके। कार्यकारिणी मे महामंत्री के तीन पदो पर नये चेहरों को मौका दिया गया है।
युवा मोर्चा के अध्यक्ष पद पर भी पार्टी ने नये चेहरे के रूप मे दिवंगत पूर्व अध्यक्ष और केन्द्रीय राज्य मंत्री रहे बच्ची सिंह रावत के पुत्र शशांक रावत को नियुक्त किया गया है। वहीं महिला मोर्चा अध्यक्ष के पद पर आशा नौटियाल को कमान सौंपी है। नये अध्यक्ष महेंद्र भट्ट पूर्व मे भी अपनी सांगठनिक क्षमता साबित कर चुके है। इससे पहले भी संगठन उन्हे कई बार जिम्मेदारी दे चुका है और वह बखूबी उनका निर्वहन कर अपनी क्षमता का आकलन करवा चुके है।
अध्यक्ष बनने के बाद वह आगामी चुनावो के कार्यक्रम पर फोकस कर यह जताने मे सफल हुए है कि टीम वर्क के साथ वरिष्ठ नेताओ के अनुभव का लाभ किस तरह से लिया जाएगा। योजना के तहत हारे हुए क्षेत्रों का जिम्मा सांसदों को देने की बात अध्यक्ष ने की है।
कुल मिलाकर क्षेत्रीय, जातीय, युवा और अनुभव के पैमाने पर महेंद्र भट्ट की जो टीम मैदान मे आयी है वह संतुलन के लिहाज से एक बेहतर टीम साबित हो सकती है।