उत्तराखंड

18 और परिवारों को सुरक्षित ठिकानों पर शिफ्ट किया, राहत और बचाव कार्य जारी

जोशीमठ में भू-धंसाव के बाद 18 परिवारों को और सुरक्षित ठिकानों में विस्थापित किया गया है। इस तरह से अब तक कुल 145 परिवारों के 499 सदस्यों को विस्थापित किया जा चुका है। अभी तक 723 ऐसे भवन चिह्नित किए गए हैं, जिनमें दरारें आई हैं जबकि 86 घरों को पूरी तरह से असुरक्षित घोषित किया गया है। चमोली जनपद में राहत एवं बचाव कार्यों के लिए 11 करोड़ पूर्व में ही जारी किए जा चुके हैं।

सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा ने बुधवार को जोशीमठ में हो रहे भू-धंसाव के बाद राज्य सरकार की ओर से किए जा रहे राहत एवं बचाव कार्यों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अस्थायी रूप से जोशीमठ में कुल 344 कमरों की व्यवस्था की गई है, जिनकी क्षमता 1425 लोगों की है। जबकि पीपलकोटी में 491 कमरों को आरक्षित किया गया है, जिनकी क्षमता 2205 लोगों की है।

प्रभावितों को वितरित राहत राशि के तहत प्रति परिवार पांच हजार की दर से घरेलू राहत सामाग्री के लिए अभी तक 53 प्रभावितों को कुल 2.65 लाख रुपये की धनराशि वितरित की गई है। इसके अलावा तीक्ष्ण एवं पूर्ण क्षतिग्रस्त भवनों के 10 प्रभावितों को 13 लाख रुपये धनराशि वितरित की गई है। गांधीनगर, सिंहधार, मनोहरबाग, सुनील क्षेत्र वार्ड असुरक्षित घोषित किया गया है। 86 भवन असुरक्षित क्षेत्र में स्थित है।

एसडीआरएफ की एक टुकड़ी गौचर में तैयार 
सचिव आपदा प्रबंधन ने बताया कि केंद्र सरकार से एनडीआरएफ के 80 जवान जोशीमठ में काम कर रहे हैं, इसके अलावा 40 जवानों को गौचर में तैयार रखा गया है। एसडीआरएफ के 90 जवान पहले ही वहां काम कर रहे हैं।

ड्रेनेज : 13 को खुलेंगे टेंडर 
जोशीमठ में ड्रेनेज संबंधि कार्यों और टो-इरोजन की रोकथाम के लिए तत्काल कार्य प्रारंभ किए जाने के उददेश्य से ईपीसी मोड में कार्य करवाने के लिए सिंचाई विभाग से प्रस्ताव मांगे गए हैं। इसके अलावा ड्रेनेज प्लान तैयार करने के लिए एरीगेशन विभाग को पहले ही अनुमति दी जा चुकी है। उनकी ओर से इस काम के लिए टेंडर किए जा चुके हैं, जो 13 जनवरी को खुलेंगे। सीवर व्यवस्था को भी तत्काल ठीक करने के लिए पेयजल निगम को निर्देशित किया जा चुका है, उनकी ओर से कार्रवाई की जा रही है।

बिजली पोल शिफ्टिंग को दो करोड़ जारी 
असुरक्षित क्षेत्रों में बिजली की एचटी और एलटी लाइन को शिफ्ट करने लिए दो करोड़ 14 लाख 42 हजार रुपये जारी किए गए हैं।

केंद्रीय एजेंसियां तत्काल काम पर लग जाएं
डॉ. सिन्हा ने बताया कि केंद्रीय कैबिनेट सचिव राजीव गौबा की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में सभी केंद्रीय तकनीकी एजेंसियों को निर्देशित किया गया है कि जो काम दिए गए हैं, उन्हें तत्काल समयबद्ध तरीके से करें। उसमें किसी भी प्रकार की प्रशासनिक या तकनीकी समस्या नहीं आनी चाहिए। सभी तकनीकी संस्थानों से कहा गया है कि वह अपनी टीमों को तत्काल काम पर लगा दें।

वाडिया ने स्टाल किए दो सिस्मिक स्टेशन 
उन्होंने बताया कि वाडिया की टीम की ओर से वहां भूगर्भीय हलचल को मापने के लिए दो स्टेशन स्टॉल कर दिए गए हैं। इसके अलावा सीबीआरआई की टीम की ओर से भी वहां भवनों के निर्माण पर अध्ययन किया जा रहा है। जीएसआई की टीम ने भी जिओलॉजिकल मैपिंग का कार्य शुरू कर दिया है।

केंद्र ने जारी किए 392 करोड़ रुपये 
केंद्र सरकार ने एसडीआरएफ  392 करोड़ रुपये जारी कर दिए हैं। यह राशि जोशीमठ आपदा से अलग है।

पानी का डिस्चार्ज हुआ और कम 
सचिव आपदा प्रबंधन ने बताया कि जेपी कंपनी की कॉलोनी के पास जो पानी का रिवास हो रहा है, उसमें भी कमी आई है। इससे खतरे की आशंका कम हुई है। 6 जनवरी को यहां पर 540 एलपीएम था, जो अब घटकर 245 एलपीएम पर आ गया है। उन्होंने कहा कि यह शुभ संकेत हैं। उन्होंने कहा कि कुछ मीडिया रिपोर्ट में कहा गया कि कुछ अन्य जगहों पर भी पानी निकलना शुरू हुआ है, जो पूरी तरह से निराधार है। इस तरह की कोई सूचना शासन प्रशासन को नहीं मिली है।

लोगों से बातचीत कर ही बनाएंगे विस्थापन नीति 
सचिव आपदा प्रबंधन ने कहा कि लोगों की ओर से विस्थापन के संबंध में अलग-अलग तरह की मांग की जा रही है। उन्होंने कहा कि बदरीनाथ, केदारनाथ या कहीं दूसरी जगह दिए गए मुआवजे का आकलन यहां करना ठीक नहीं है। हर जगह की परिस्थितियां अलग होती हैं। लोगों की बात भी सुनी जाएगी, उसके बाद ही निर्णय लिया जाएगा। सहमति बनाई जा रही है।

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