
देहरादून।।
उत्तराखंड वक्फ विकास बोर्ड ने मजहबी शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्र छात्राओं को मॉर्डन शिक्षा दिलाने के लिए मदरसा बोर्ड या उत्तराखंड शिक्षा परिषद में पंचीकृत मदरसों को मॉर्डन मदरसे के रूप में विकसित करने के लिए वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष की अध्यक्षता में हुई बोर्ड बैठक में यह प्रस्ताव पारित किया गया जिसके तहत प्रदेश के कुल 7 मदरसों को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर विकसित करने पर बोर्ड ने मुहर लगा दी, साथ ही प्रथम चरण में 4 व दूसरे चरण में 3 मदरसों को विकसित करने का काम सुरु किया गया ।
इन मदरसों में देहरादून स्थित मुस्लिम नेशनल विद्यालय को विकसित करने के लिए 25 लाख रुपये खर्च किये गए जिसे सम्बन्धित फार्म को ट्रांसफर कर मदरसे में डेक्सटॉप, प्रिन्टर, बच्चों के लिए कुर्सी, मेज, आदि की खरीदारी की गई जिसकी निविदा के लिए एक मात्र अपरिचित दैनिक दून वेदना नामक समाचार पत्र में विज्ञप्ति दी गयी, उसके बाद बोर्ड अध्यक्ष द्वारा बनाई गई प्रशासक की टीम ने 3 फर्मो से कोटेशन प्राप्त कर बिना किसी इस्फेसिफिकेशन के बाजार मूल्य से अधिक दामों पर सामग्री की खरीद कर 25 लाख को ठिकाने लगा दिया ।
मजे की बात तो यह है कि जिस मदरसे को मॉर्डन बनाने के लिए इतना पैसा खर्च किया गया वह मदरसा न तो मदरसा बोर्ड में पंचीकृत है और न ही उत्तराखंड शिक्षा परिषद में और तो और न ही उसमें बच्चे है न ही अध्यापक एक आरटीआई कार्यक्रता द्वारा विभाग से तमाम दस्तावेज इक्कठे किये गए जिसके आधार पर उसके द्वारा जनहित में इस मामले का खुलासा करते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री मुख्य सचिव समेत कई अधिकारियों को पत्र लिखा गया जिसके आधार पर बाल संरक्षण आयोग के उप निदेशक ने इस पूरे मामले पर जाँच कर अपनी रिपोर्ट सार्वजनिक की है।
अब सवाल यह है कि क्या इस मामले की गंभीरता को देखते हुए वक्फ बोर्ड द्वारा पिछले 3 वर्षों में किये गए कार्यो की जाँच होनी चाहिए या नही , हालांकि अभी तो यह एक मामला उजागर कर रहा हूँ ऐसे ही कई मामले उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के है जिनमें करोड़ों के ओरे न्यारे किये गए है।