जोशीमठ की जड़ काट रही अलकनंदा, अब सुरक्षा दीवार बनाकर होगा इलाज, पढ़ें ये चार प्रमुख शोध
जोशीमठ भू-धंसाव को लेकर अब तक जितनी भी अध्ययन रिपोर्ट सामने आईं हैं, उनमें अलकनंदा नदी की ओर से जोशीमठ की जड़ पर किए जा रहे भू-कटाव को भी एक प्रमुख वजह माना गया है। यहां अलकनंदा सदियों से टो-एरोजन कर रही है। शासन ने अब इसके ट्रीटमेंट का प्लान तैयार कर लिया है।
अलकनंदा नदी के किनारे जो टो इरोजन हो रहा है, उसके लिए वेबकॉस को कार्यदायी संस्था बनाते हुए ट्रीटमेंट का काम दिया जाएगा। जोशीमठ शहर को लेकर अब तक चार प्रमुख शोध हुए हैं। इनमें भू-धंसाव को लेकर जो पांच प्रमुख कारण सामने आए हैं, उनमें से एक अलकनंदा नदी की ओर से किया जा रहा भू-कटाव भी है।
शासन की ओर से गठित समिति की जो रिपोर्ट सामने आई है, उसमें भी इस तथ्य को प्रमुखता से उजागर किया गया है। रिपोर्ट में भविष्य में भी अलकनंदा की ओर से होने वाले कटाव को खतरनाक बताया गया है। इससे नए लैंडस्लाड जोन के विकसित होने की आशंका जताई गई है।
जोशीमठ शहर पर जुलाई 2022 भू विज्ञानी डॉ. एसपी सती ने तीन अन्य वैज्ञानिकों के साथ मिलकर एक रिपोर्ट तैयार की थी। उन्होंने भी जोशीमठ के भविष्य में अस्थिर होने के लिए नदी की ओर से की जा रही टो कटिंग को एक बड़ा कारण माना था। इसमें उन्होंने नदी कटाव से बचने के लिए वैज्ञानिक पद्धति से नदी का रुख मोड़ने और रिटेनिंग वॉल बनाने की सिफारिश की थी। उनका कहना है कि शासन की ओर से अब इस बात को स्वीकार करते हुए ट्रीटमेंट प्लान तैयार किया जा रहा है।
भूविज्ञानी और डीबीएस कॉलेज के जिओलॉजी डिपार्टमेंट के पूर्व एचओडी डॉ. एके बियानी का कहना है कि नदी की ओर से किया जा रहा भू कटाव इसका एक कारण हो सकता है। लेकिन उससे अधिक जोशीमठ में ड्रेनेज और सीवेज सिस्टम का न होना है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में नगर क्षेत्र के 10 प्रतिशत परिवार ही सीवेज लाइन से जुड़े हैं। जबकि 90 प्रतिशत परिवारों के घरों का पानी पिट या सोख्तों के माध्यम से जमीन में जा रहा है। जमीन में पानी का यही रिसाव ग्लेशियर मड के साथ बहकर अब बाहर आ रहा है।