

देहरादून, डोईवाला।
डोईवाला चीनी मिल में जब से दिनेश प्रताप सिंह, पी०सी०एस० अधिकारी द्वारा अधिशासी निदेशक पद पर कार्यभार ग्रहण किया गया है तब से वे योजनाबद्ध तरीके से चीनी मिल डोईवाला के सुदृढीकरण एवं उन्नति के लिए निरन्तर अथक प्रयास कर रहे हैं, उनके कुशल प्रबन्धन से मिल की दिशा ओर दशा दोनों सुदृढ हुई हैं, वहीं मिल के अधिकारियों एवं कर्मचारियों की कार्यशैली में बदलाव देखने को मिला है। अधिशासी निदेशक के कुशल नेतृत्व में कर्मचारीगण व अधिकारीगण अपनी शत-प्रतिशत क्षमता के साथ अनुशासित होकर पेराई कार्यों को सम्पादित कर रहे हैं। कृषकगणों को मिल स्तर पर कोई भी परेशानी / समस्या होती है तो उसका फोन पर ही तत्काल समाधान किया जा रहा है। क्षेत्रीय जनता को पेराई सत्र के दौरान गन्ने के वाहनों से अक्सर लगने वाले जाम की समस्या से निजात मिल चुकी है, वहीं अधिशासी निदेशक के मिल में कार्यभार ग्रहण करने से पूर्व मिल जरजर होने, मशीनरी पुरानी होने, पेराई कार्य सुचारू रूप से न होने के कारण बूढी एवं बीमार घोषित कर बन्द करने की चर्चा जोर पकडने लगी थी आज उसी मिल में जबरदस्त परिवर्तन देखने को मिल रहा है तथा वही चीनी मिल आज नये नये कीर्तिमान स्थापित करने की ओर अग्रसर है।
क्षेत्रीय कृषकगणों का स्पष्ट कहना है कि यह चीनी मिल वर्ष 2021-22 में बन्द होने के कगार पर आ गई थी। इस बीमार एवं बूढी कही जाने वाली जरजर चीनी मिल में दिनेश प्रताप सिंह, पी०सी०एस० द्वारा दिनांक 31.08.2022 को अधिशासी निदेशक पद पर कार्यभार ग्रहण करने के पश्चात जिस योजनाबद्ध तरीके से कार्य करते हुए मिल में कुशल प्रबन्धन की मिसाल पेश की है उसका हर कोई कायल है तथा इन्होंने चीनी मिल को मजबूत स्थिति में लाने का काम किया है। 1990 के दशक से वर्ष 2021-22 तक मिल के सर्वांगीण विकास के लिए क्षेत्रीय कृषकगण तत्कालीन अधिशासी निदेशक विनोद शर्मा जी को कुशल प्रबन्धक मानने लगे थे वही लोग आज चीनी मिल डोईवाला में स्थापित हो रहे नये नये कीर्तिमान एवं निम्नलिखित आँकडों के आधार पर दिनेश प्रताप सिंह, पी०सी०एस०, अधिशासी निदेशक को अब तक का कुशल प्रशासक मान रहे हैं-
उत्तराखण्ड राज्य निर्माण के पश्चात गन्ना क्षेत्रफल कम होने के कारण गन्ना उत्पादन में कमी आयी है इसके बावजूद उपरोक्त आँकडों से स्पष्ट है कि इस चीनी मिल का पेराई सत्र 1990-91 से 1993-94 तक एवं 2002-03 से 2006-07 तक अधिकतम चीनी परता 9.42 प्रतिशत, कुल चीनी हानि न्यूनतम 2.16 प्रतिशत एवं न्यूनतम कुल बन्दी 402.20 घण्टे रही जबकि पेराई सत्र 2022-23 से 2023-24 तक अधिकतम चीनी परता 9.90 प्रतिशत, कुल चीनी हानि न्यूनतम 2.04 प्रतिशत एवं न्यूनतम कुल बन्दी 157 घण्टे रही।
वर्तमान में चीनी मिल का पेराई सत्र 2024-25 गतिमान है, मिल में आतिथि तक लगभग 17.12 लाख कुन्तल गन्ने की पेराई कर 1.58 लाख कुन्तल चीनी का उत्पादन हो चुका है, चीनी परता 9.39 प्रतिशत है तथा आतिथि तक इस पेराई सत्र में कुल बन्दी मात्र 81 घण्टे की है जो कि मिल के लिए एक उपलब्धि है। पेराई सत्र 2024-25 के दौरान दिनांक 02.01.2025 तक कृषकों द्वारा मिल में आपूर्ति किये गये गन्ने का रू0 3270.78 लाख का भुगतान समितियों के माध्यम से किया जा चुका है।
मिल में पेराई सत्र 2024-25 के दौरान विगत पेराई सत्रों की अपेक्षा अत्यधिक सकारात्मक परिणाम प्राप्त करने के लिए अथक प्रयास किये जा रहे हैं। अधिशासी निदेशक की कार्यशैली एवं मिल हित में लिये जाने वाले निर्णयों को देखते हुए चीनी मिल डोईवाला से जुडे कृषकों में भी उत्साह देखने को मिल रहा है तथा उनका मिल प्रबन्धन के प्रति विश्वास बढ़ा है।
वर्तमान में मिल का पेराई सत्र गतिमान है अभी तक प्राप्त आँकडों से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि यह चीनी मिल विगत वर्षों के सभी रिकॉर्ड तोड़कर इस पेराई सत्र की समाप्ति तक एक नया कीर्तिमान स्थापित करेगी, यदि ऐसा हुआ तो इसका सीधा लाभ निश्चित रूप से क्षेत्रीय कृषकों, कर्मचारियों, अधिकारियों एवं मिल से जुडे अन्य लोगों को मिलेगा।