देहरादून।
उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव 2022 से पूर्व हुई नियुक्तियों को लेकर विपक्ष के द्वारा उठाए गए सवाल पर अब बीजेपी के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी बयान जारी किया है जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने साफ तौर पर कहा है कि मुख्यमंत्री होने के नाते मेरे पास भी विधानसभा में नियुक्तियों से संबंधित फाइल आई थी जिस पर हमने आयोग से इन नियुक्तियों को कराने की बात कही थी।
ताकि पारदर्शिता बनी रहे और योग्य लोगों की नियुक्ति हो क्योंकि इससे पहले भी विधानसभा में हुई नियुक्तियों को लेकर सवाल उठते रहे हैं जिसको देखते हुए हमने यह टिप्पणी करते हुए फाइल वापस कर दी थी लेकिन उसके बाद में जो नियुक्तियां हुई है उसके लिए किसने अनुमोदन दिया इस बारे में मुझे जानकारी नहीं है हालांकि इस बयान के बाद एक बात तो साफ है की पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के द्वारा जो बयान जारी किया गया है इससे साफ नजर आ रहा है कि यह नियुक्तियां त्रिवेंद्र सरकार के बदलने के बाद ही हुई है क्योंकि इन 72 नियुक्तियों में बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के पीआरओ कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य के पीआरओ कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज के पीआरओ समेत कई नेताओं व अधिकारियों के नाते रिश्तेदारों के नाम भी सामने आ रहे हैं ।
जिससे लगता है कि इन भर्तियोों में भी कंही न कंही भ्रष्टाचार हुआ है , जिसे लेकर मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने कल सरकार से इन नियुक्तियों की भी जांच कराने की मांग की थी जिसके बाद अब विधानसभा में हुई नियुक्तियों को लेकर चर्चाएं तेज हो गई है हालांकि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का साफ तौर पर कहना है कि भ्रष्टाचार को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा चाहे जितना भी बड़ा व्यक्ति क्यों ना हो अगर भ्रष्टाचार में लिप्त पाया गया तो उस पर हमारी सरकार के द्वारा कार्यवाही जरूर की जाएगी लेकिन देखने वाली बात यह है कि अब इस मामले में धामी सरकार जीरो टॉलरेंस की नीति पर चलते हुए क्या कार्रवाई करती है ।
बाइट– त्रिवेन्द्र सिंह रावत, पूर्व सीएम