उत्तराखंड में निराश्रित बेटियों के विवाह का खर्च उठाएगी सरकार, तैयार हो रहा प्रस्ताव
उत्तराखंड में कोरोना ने कई बच्चों के सिर से उनके माता-पिता या दोनों में से किसी एक का साया छीन लिया है। कई परिवारों के कमाऊ सदस्यों की मौत हो गई। उत्तराखंड में इससे 6 हजार से ज्यादा बच्चे अनाथ हुए हैं। इसमें लगभग तीन हजार बेटियां शामिल हैं। समाज कल्याण मंत्री चंदनराम दास के मुताबिक सरकार कोविड हो या किसी अन्य वजह से राज्य की निराश्रित बेटियों के विवाह का खर्च उठाएगी। इसके लिए प्रस्ताव तैयार करने के साथ ही प्रदेेशभर में इस तरह की बेटियों का सर्वे कराया जा रहा है।
समाज कल्याण मंत्री के मुताबिक दूरदराज के गांवों में जाने पर पता चला है कि कई निराश्रित बेटियां हैं। कोविड की वजह से इनकी संख्या में वृद्धि हुई है। कुछ की मां बीमार है तो पिता का निधन हो चुका है। कुछ के माता-पिता दोनों का निधन हो चुका है। विभाग की ओर से विधवा महिला की पुत्री के विवाह के लिए सरकार आर्थिक मदद करती है। इसके बाद सरकार की ओर से अब निराश्रित बेटियों के विवाह का खर्च उठाया जाएगा। मार्च तक इसके सर्वे की रिपोर्ट आने के बाद प्रस्ताव को कैबिनेट में लाया जाएगा।
बढ़कर 6382 हुई कोविड में अनाथ बच्चों की संख्या
प्रदेश में कोविड में अनाथ हुए बच्चों की संख्या 4308 से बढ़कर 6382 हो गई है। शासन की ओर से जारी रिपोर्ट के मुताबिक वर्तमान में सरकार की ओर से 4308 बच्चों को योजना का लाभ दिया जा रहा था। नए लाभार्थी के रूप में योजना के तहत 2074 अन्य बच्चों का अनुमोदन किया गया है।
मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना के तहत लाभार्थियों को तीन हजार रुपये हर महीने डीबीटी के माध्यम से उनके खाते में दिए जा रहे हैं।