Joshimath: धरती चीरकर निकल रहा पानी, क्यों जोशीमठ में पड़ रहीं दरारें; 1976 से बज रही खतरे की घंटी


उत्तराखंड में पवित्र बद्रीनाथ धाम और हेमकुंड साहिब पहुंचने के अंतिम पड़ाव जोशीमठ में रहने वाले लोग दहशत में हैं। इसके चलते यहां के घरों में दरारें आ रही हैं। गेटवे ऑफ हिमालय कहे जाने वाले इस शहर में अब धरती फाड़कर जगह-जगह से पानी निकलने लगा है। ऐसे में लोग अपना घर छोड़कर इधर-उधर शिफ्ट हो रहे हैं। वहीं, आपदा प्रबंधन विभाग ने यहां होटल में यात्रियों के रुकने पर रोक लगा दी है और जल निकासी का प्लान और सीवर सिस्टम का काम पूरा करने की तैयारी की है। हालांकि जोशीमठ के लोग इस आपदा की वजह सरकार की लापरवाही को ही मानते हैं वह कहते हैं कि जब 1976 में मिश्रा समिति ने अपनी रिपोर्ट में ये साफ कर दिया था कि जोशीमठ धीरे-धीरे डूब रहा है तो सरकार अब तक सो क्यों रही थी।
गौरतलब है कि उत्तराखंड का जोशीमठ तब से धंस रहा है जब ये यूपी का हिस्सा हुआ करता था। उस समय गढ़वाल के आयुक्त रहे एमसी मिश्रा की अध्यक्षता में एक 18 सदस्यीय समिति गठित की गई थी। इसे मिश्रा समिति नाम दिया गया था, जिसने यह इस बात की पुष्टि की थी कि जोशीमठ धीरे-धीरे धंस रहा है। समिति ने भूस्खलन और भू धसाव वाले क्षेत्रों को ठीक कराकर वहां पौधे लगाने की सलाह दी थी। इस समिति में सेना, आईटीपी समेत बीकेटीसी और स्थानीय जनप्रतिनिध शामिल थे। 1976 में तीन मई को इस संबंध में बैठक भी हुई थी, जिसमें दीर्घकालिक उपाय करने की बात कही गई थी।