उत्तराखंड, देहरादून।
धामी सरकार की उपलब्धियां जनजन तक पहुचाने के लिए सूचना विभाग कई माध्यमों से प्रचार प्रसार करने में करोड़ो का बजट खर्च कर रहा है , लेकिन दुर्भाग्य है कि जिस विभाग के द्वारा टीवी न्यूज चैनलों को करोड़ो रुपए के विज्ञापन दिए जा रहे उनका उत्तराखंड में सम्पादक कौन है उनका उत्तराखंड में कार्यालय कँहा पर है किस चैनल ने कितने लोगों को रोजगार दिया है कितने स्किल्ड और कितने अनस्किल्ड कर्मचारी कार्यरत है लेवर विभाग में रजिस्टर्ड है या नही लेवर लॉ के अनुसार कर्मचारियों को वेतन मिल रहा है या नही इसमे से किसी भी बिन्दु की जानकारी उत्तराखंड सूचना विभाग के पास धारित नही है , यह सूचना विभाग द्वारा सूचना के अधिकार के तहत मांगा गया था उसके जबाव में विभाग ने स्वयं स्पष्ट किया है ।
अब बात करते है कि उत्तराखंड में क्षेत्रीय चैनलों के सूचीबद्धता की तो वर्तमान में लगभग 41 -42 चैनल सूची बद्ध है और डीएवीबी के नाम पर दर्जनों रीजनल और राष्ट्रीय चैनलों को विज्ञापन जारी किए जाते है तो सवाल ये खड़ा होता है कि जब सरकार करोड़ो रुपए के विज्ञापन जारी कर रहा है तो रोजगार श्रजन होना चाहिए या नही , चैनलों में कार्यरत कर्मचारियों को लेवर लॉ के अनुसार वेतन मिलना चाहिए या नही, सूचीबद्ध चैनल प्रदेश के सभी जिलों से समाचार संकलन कैसे कराते है इसकी जानकारी आमजन को होनी चाहिए या नही, या सिर्फ बजट ठिकाने लगाने का काम हो रहा है …….
यंहा आपको बता दे उत्तराखंड सूचना विभाग में सूचीबद्ध न्यूज चैनलों में से अगर कुछ संस्थानों को छोड़ दिया जाए तो ज्यादातर न्यूज चैनल समाचार संकलन के लिए देहरादून से लेकर पूरे प्रदेशभर में एक एक संवाददाता कई कई न्यूज चैनलों में समाचार उपलब्ध करवाता है शायद इसीलिए सूचना विभाग के पास ऐसे सामाजिक न्याय के सम्बन्ध में कोई जानकारी नही है यही हाल बहुत से न्यूज चैनल के स्थानीय कार्यालयों के है एक ही ऑफिस से कई न्यूज चैनल संचालित किए जा रहे है हालांकि यह जानकारी आधिकारिक नही है लेकिन विभाग के पास इन सभी बिंदुओं की जानकारी न होना भी इस ओर इशारा कर रही है।
विभाग से अन्य बिंदुओं पर भी साक्ष्य जुटाने का प्रयास कर रहा हूँ जैसे ही साक्ष्य उपलब्ध होते है तो उसके बारे में भी उजागर करूंगा।