देहरादून।
उत्तराखंड में इन दिनों एक बड़ी आपदा के संकेत मिलने लगे हैं, यह आपदा वनाग्नि से जुड़ी है, जी हां राज्य में जिस तरह जंगलों की आग अपने पांव पसार रही है.. उससे आने वाले दिनों में एक बड़ा खतरा पैदा हो गया है.. .बहरहाल मौजूदा स्थिति ये है कि बीते 24 घंटे में उत्तराखंड में 68 अलग-अलग क्षेत्रों में जंगलों में आग लगी थी जिनमें 300 हेक्टेयर से ज्यादा जंगल जलकर राख हो गए देखिए स्पेशल रिपोर्ट….
वीओ:-उत्तराखंड में फायर सीजन शुरू होते ही जंगलों में आग का तांडव दिखने लगा है, दिनोंदिन आग की घटनाओं में तेजी से इजाफा भी हो रहा है, चिंता की बात यह है कि वन विभाग के पास कागजों में इसका प्लान तो है लेकिन समाधान नहीं… वैसे इसका समाधान महकमें के बस की बात नहीं दिखाई दे रहा.. ऐसा इसलिए क्योंकि आग की ये घटनाएं हो कैसी रही है इस पर ही विभाग खुद सवालों के घेरे में हैं… वैसे आपको बता दें कि जंगलों में आग लगने की दो वजह मानी जाती है पहला प्राकृतिक और दूसरा इंसानों द्वारा लगाई गई आग… ज्यादातर घटनाओं के पीछे लोग ही वजह माने जाते हैं, लेकिन वन विभाग ने इतने सालों में ऐसी घटनाओं के लिए कितने मुकदमे किए और कितने लोगों को जेल की हवा खिलाई इसका आंकड़ा देखकर ही समझा जा सकता है कि या तो वन विभाग बेहद लापरवाह है या फिर इन आग की घटनाओं के पीछे दाल में कुछ काला जैसा है।
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उत्तराखंड में 15 फरवरी से 3 अप्रैल तक कुल 167 वनों में आग लगने की घटनाएं हुई हैं।
इसमें आरक्षित वन क्षेत्रों में 129 घटनाएं तो सिविल वन पंचायत क्षेत्रों में 48 घटनाएं हुई है।
पिछले डेढ़ महीने में करीब 214.11 हेक्टेयर वन क्षेत्र इस आग से प्रभावित हुआ है।
इसमें आरक्षित वन क्षेत्र का 138.21 हेक्टेयर क्षेत्र है जबकि सिविल वर पंचायत 75.2 हेक्टेयर है।
इस तरह प्रदेश को पिछले डेढ़ महीने में इतनी वन संपदा के चलते करीब 600000 से ज्यादा का नुकसान हो चुका है।
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वीओ:-दरअसल आग लगने की घटनाएं वन पंचायत के जंगलों की बजाय आरक्षित वनों में ज्यादा दिखाई देती है। ऐसे भी एक सवाल यह उठता है कि वन क्षेत्रों में प्लांटेशन को लेकर जो गड़बड़ी के सवाल उठते रहे हैं कहीं इन आग की घटनाओं का उससे कोई सीधा कनेक्शन तो नहीं.. वैसे तो यह जांच का विषय है लेकिन पहले आप ये जानिए कि उत्तराखंड में पिछले डेढ़ महीने में आग लगने की घटनाओं को लेकर क्या आंकड़ा रहा….बीते 24 घंटे में उत्तराखंड में 68 अलग-अलग क्षेत्रों में जंगलों में आग लगी थी जिनमें 300 हेक्टेयर से ज्यादा जंगल जलकर राख हो गए प्रमुख वन संरक्षक का कहना है कि इस मामले में सभी को निर्देश दिए गए हैं कि उचित व्यवस्था की जाए स्थानीय लोगों को साथ लेकर आग कंट्रोल करने के प्रभाव इंतजाम किए जाएं।
बाईट- विनोद सिंघल प्रमुख वन संरक्षक उत्तराखंड
वीओ- उत्तराखंड में वन विभाग द्वारा आग बुझाने के लिए हाई टेक्निक का भी प्रयोग किया जा रहा है। प्रमुख वन संरक्षक ने बताया है कि इंडियन रिमोट सेंसिंग डिपार्टमेंट की मदद से एक विशेष ऐप बनाया गया है जिससे लोग जिस भी जंगल में आग लगी होगी उसकी फोटो भेजेंगे तो उसकी पूरी लोकेशन और स्थिति की जानकारी वन विभाग को मिल जाएगी और तत्काल आग बुझाने के कार्य किए जाएंगे जाएंगे।