मौसम साफ होते ही बदरीनाथ धाम की यात्रा गति पकड़ने लग गई है। इसी के साथ विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल औली की ओर भी यात्री रुख कर रहैं। यात्रियों को इस बार रोपवे का सफर तय न करने का भी मलाल है।
विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल औली का दीदार करने के लिए पर्यटक खासे उत्सुक रहते हैं। यात्रा सीजन के दौरान बदरीनाथ धाम जाने वाले यात्री जोशीमठ से औली भी पहुंचते हैं। हालांकि औली पहुंचने वाले अधिकतर लोग प्रकृति प्रेमी होते हैं। यात्रा सीजन शुरू होने से अब तक औली 30 हजार से अधिक पर्यटक पहुंच चुके हैं।
मखमली घास से लबालब बुग्याल का आंनद ले रहे पर्यटक
वैसे तो औली स्कींइग के लिए फेमस है। यहां का मुख्य सीजन दिसंबर से मार्च तक होता है। तब औली में बर्फ के दीवाने ढेरा डाले रहते हैं। इन दिनों पहुंचने वाले पर्यटक औली की ढलानों में मखमली घास से लबालब बुग्याल का आंनद ले रहे हैं। यहां से गौरसों तक घने जंगलों के बीच ट्रेकिंग घुड़सवारी के साथ, नंदा देवी सहित बर्फ से लकदक पर्वत श्रृखंलाओं को देखने का मौका मिल रहा है।
औली में पर्यटन कारोबारी अजय भट्ट का कहना है कि इन दिनों औली में पर्यटकों की आमद बढ़ी है। लोग बदरीनाथ यात्रा के दौरान यहां आ रहे हैं। औली बुग्याल से हिमालयी पर्वत श्रृखंलाएं देखने को ऐसी लगती है जैसे हम उसके करीब ही हैं। ये पर्वत श्रृखंलाएं बर्फ की सफेद चादर ओढ़े हुए पर्यटकों को अपनी ओर आर्कषित कर रही है।
इस बार रोपवे का सफर न करने का है मलाल
जोशीठ से औली तक रोपवे से सफर भी औली का आर्कषण रहा है। इस रोपवे से सफर के दौरान जंगलों के ऊपर से गुजरने, पर्वत श्रृखंलाओं का दीदार करने का आंनद ही कुछ और है। लेकिन इस बार जोशीमठ आपदा के वजह से औली रोपवे जनवरी माह से बंद है।
लिहाजा यात्री रोपवे का सफर नहीं कर पा रहे हैं। यात्रियों को रोपवे का सफर न करने का मलाल है। लेकिन जोशीमठ से 14 किमी की दूरी तय कर औली पहुंचने के बाद पर्यटक औली से तीन किमी क्षेत्र आठ नंबर टावर तक चियर लिफ्ट का सफर तय कर आंनदित हो रहे हैं।
जोशीमठ में पीछा नहीं छोड़ रहा आपदा की साया
धार्मिक नगरी जोशीमठ में आपदा की साया पीछा नहीं छोड़ रहा है। नगर में ट्रैफिक व्यवस्था वन वे होने के चलते सड़क पर वाहन कम ही रुक रहे हैं। हालांकि रात्रि को होटलों में भीड़ भाड़ नजर आ रही है। जोशीमठ में अधिकतर होटलों में आपदा प्रभावितों के राहत कैंप हैं। वैसे तो बदरीनाथ यात्रा का प्रमुख पड़ाव जोशीमठ को माना जाता है, लेकिन यात्री वाहनों की संख्या बढ़ने के साथ नगर में जाम की समस्या के चलते प्रशासन ने वन वे सिस्टम किया है।
ऐसे में सड़क पर वाहनों के खड़े होते हुए भी जाम की समस्या हो रही है। होटल व्यवसायियों का कहना है कि इन दिनों जोशीमठ आपदा के बाद जिस प्रकार लोग यहां ठहरने से कतरा रहे थे, अब वह स्थिति नहीं है। यात्री होटलों में रुककर इस धार्मिक नगरी में शंकराचार्य मठ, नृसिंह मंदिर में पूजा अर्चना के लिए जा रहे हैं।